इसके बाद अष्ट सिद्धियाँ देने वाली तथा नों निद्धियाँ देने वाली माँ भगवती के पूजन का संकल्प लें.
संकल्प: ॐ विष्णुए नमः, महालछ्मीए नमः, श्री गणेशाये नमः ,श्री श्वेतवारहकल्पे, वैवस्वमनावंतारे अष्ष्टाविंशतितमे, कल्युगे, कलिप्रथम चरणे, बोद्धावतारे, भूलोके, जम्बो दीपे, भारत खंडे, भारत वर्षे, --------- क्षेत्रे, ------नगरे --------संवत्सरे कार्तिक मासे कृषण पक्षे, अमावस्या नाम पुण्य तिथे, संवत 2066 सका 1931 अमुक नामं ------------सपुत्रं----------, अमुक गोत्रं-------------गोत्रं, अमुक ऋषि नाम -------------नाम, तस्य शुभ अवसरे यथा ग्रिहवालम महालक्ष्मी अस्ट सिद्ध दात्री, नो निधि दात्री, महालक्ष्मीसेय पूजनं परिवार सव्मित्र जन सहयोगे यथा शक्ति पूजनं कर्सते गणेशा देवता संकल्प कर्स्येते.
संकल्प करने के बाद गणेश जी का रिद्धि सिद्धि के साथ ध्यान करें तथा पञ्च उपचार से या यथा लाब्धौप्चार से या शोडास उपचार से पूजन करें. गणेश पूजन के बाद इसी उपचार से कलश पूजन करें .पूजन से पहले कलश को इशान दिशा (नॉर्थ ईस्ट) में ही स्थापित करना चाहिए.
कलश पूजन के बाद में भगवान शिव पार्वती जी का पूजन तथा ओमकार पूजन करें , इसके बाद महालक्ष्मी का भगवान श्री नारायण जी के साथ आवाहन तथा पूजन करें एवं श्रृंगार की वस्तुएं भी भेंट करें . देवी के पूजन के बाद में रोली कुमकुम युक्त चावल से अंगो का पूजन करें.
ॐ चपलायै नमः (पैरों का पूजन करें)
ॐ चंचलायै नमः (जांघों का पूजन करें)
ॐ कमलायै नमः (कमर का पूजन करें)
ॐ कात्यायन्यै नमः (नाभि पूजन करें)
ॐ जगन्मात्रे नमः (पेट का पूजन करें)
ॐ विश्ववल्लभायै नमः (छाती का पूजन करें)
ॐ कमल्वासिन्यै नमः (हाथों का पूजन करें)
ॐ पद्नाननायै नमः (मुख पूजन करें)
ॐ कमलपत्राक्ष्यै नमः (नेत्रों का पूजन करें)
ॐ श्रियै नमः (सिर का पूजन करें)
ॐ महालक्ष्म्यै नमः (सर्वांग पूजन करें)
इसके बाद अष्ट सिद्धि पूजन करें उसके लिए कुमकुम युक्त चावल देवी की प्रतिमा के पास आठ दिशाओं में छोडें
ॐ अणिम्ने नमः पूरब
ॐ महिम्ने नमः अग्नि कोने (दक्षिण पूरब )
ॐ गरिम्णयै नमः दक्षिण
ॐ लघिम्ने नमः नेर्त्रित्य (पश्चिम दक्षिण )
ॐ प्राप्तयै नमः पश्चिम
ॐ प्राकाम्यै नमः व्यावय (उत्तर पश्चिम )
ॐ ईशितायै नमः उत्तर
ॐ वशितायै नमः इशान (उत्तर पूरब )
इसके बाद अष्ट लक्ष्मी पूजन इस प्रकार करें:
लक्ष्मी की मूर्ति की आठों दिशाओं में कुमकुम युक्त चावल एवंम पुष्प लेकर आठों सिद्धियों का इस प्रकार ध्यान करते हुए पूजन करें .
ॐ आदि लक्ष्मीयै नमः
ॐ विद्या लक्ष्मीयै नमः
ॐ सौभाग्य लक्ष्मीयै नमः
ॐ अमृत लक्ष्मीयै नमः
ॐ काम लक्ष्मीयै नमः
ॐ सप्त लक्ष्मीयै नमः
ॐ भोग लक्ष्मीयै नमः
ॐ योग लक्ष्मीयै नमः
इस प्रकार अष्ट लक्ष्मी पूजन के बाद, महालक्ष्मी को धुप और दीप के दर्शन करांए तथा नेवेद्यम (मिठाई) अर्पित करें. इसके बाद देवी के हाथ में चन्दन लगायें तथा आचमन के लिए जल दे व् फल चढाये. अब पान का पत्ता अर्पित करें. देवी के चरणों में अब धन (रुपये / पैसे) चढाएं. माँ भगवती की आरती करें तथा अपने पापों के नाश के लिए प्रदक्षिणा तथा प्रार्थना करें . लक्ष्मी पूजन पश्चात्
घर की देहलीज पर स्वास्तिक बनाकर देहली विनायक का पूजन करें .
अपने खाते को लिखने वाली स्याही का माँ कलि के रूप में पूजन करें एवं लेखनी का पूजन माँ सरस्वती के रूप में करें इसके बाद किसी थाली में केसर युक्त चन्दन व रोली से स्वास्तिक बना कर पञ्च गांठें हल्दी, धनिया, कमल गठा, अक्षत (चावल ) व दूब रख कर सरस्वती का ध्यान करते हुए पुन्जिका (बही खाता) का पूजन करें .
कुबेर जी ध्यान व पूजन करें तथा हल्दी, धनिया, कमल गठा, दूब व पैसा तिजोरी में रखें तथा तराजू पर सिंदूर से स्वास्तिक बना कर मान सम्मान हेतु पूजन करें.
फिर दीपक का पूजन करें तथा देवी की प्रधान आरती करें .
तत्पश्चात पुष्पांजली अर्पित कर प्रार्थना करें .
इसके बाद माँ लक्ष्मी को शाष्टाग प्रणाम कर शुद्ध जल से अपने हाथ धोएं व संकीर्तन करें।
(संकलन - कई श्रोतों से, श्लोकों के शुद्ध उच्चारण के लिए विशेषज्ञ की सलाह उचित साधन है)