जनसहयोगिता के विस्तार को व्यवस्थित रूप देने के लिए १९७३ - ७४ में तात्कालीन अध्य

कमेटी के द्वारा नियुक्त पुजारी ने किसी तरह इस मन्दिर पर कब्जा कर लिया। समाज के कुछ प्रतिष्ठित बंधुओ के सहयोग से तथा कार्यकारिणी के सदस्योँ के अथक प्रयाशों के वाबजूद इस मसले का कोई हल नहीं निकला।
अतः समाज को न्यायालय की सरण में जाना पड़ा। तब से यह मामला मथुरा सीनियर डिविजन कोर्ट नम्बर ५ में लंबित है। समाज के सहयोग से श्री गोवर्धन कमेटी न्याय पाने के लिए निरंतन प्रयत्नरत है। इस बात में कोई संदेह नहीं की मन्दिर श्री गोवर्धन नाथ आदि गौड़ ब्राह्मण समाज के देन है तथा इसका प्रबंधन श्री गोवर्धननाथ कमेटी को मिलना न्यायोचित मांग है।
इसी श्रंखला में सन २००५ से श्री पूरण चंद शर्मा, अध्यक्ष श्री गोवर्धननाथ कमेटी, समाज के अथकनीय सहयोग से न्याय के लिए प्रयाशरत है।