आज से लगभग ७० वर्ष पूर्व धार्मिक कार्यो में आस्था रखने वाले आदि गौड़ ब्राह्मण समाज के कुछ सम्मानित सदस्यों द्वारा भगवान श्री कृष्ण की क्रीड़ा स्थली गोवर्धन में, डीग बस स्टैंड के निकट बड़ा बाज़ार, गोवर्धन में लगभग ३०० वर्ग गज जमीन क्रय की गयी। समाज के सहयोग के द्वारा तात्कालीन अध्यक्ष श्री रामकृष्ण शर्मा की देख रेख में ९ और १० फरवरी १९५७ को आयोजित भव्य कार्यक्रम में श्री गोवर्धन भगवान् की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा श्रीमान पंडित छोटेलाल शास्त्री (छाता वाले महाराज आचार्य) के मुख्य आतिथ्य में सम्पन्न हुई।
जनसहयोगिता के विस्तार को व्यवस्थित रूप देने के लिए १९७३ - ७४ में तात्कालीन अध्यक्ष वैद्य श्री रघुनाथ प्रसाद एवं श्री गोकुलचंद शर्मा के अथक प्रयाशों से सोसाइटी (श्री गोवर्धननाथ कमेटी) का पंजीकरण २६ फरवरी १९७५ को समितियों के निबंधक, लखनऊ उत्तर प्रदेश के द्वारा जारी हुआ।
कमेटी के द्वारा नियुक्त पुजारी ने किसी तरह इस मन्दिर पर कब्जा कर लिया। समाज के कुछ प्रतिष्ठित बंधुओ के सहयोग से तथा कार्यकारिणी के सदस्योँ के अथक प्रयाशों के वाबजूद इस मसले का कोई हल नहीं निकला।
अतः समाज को न्यायालय की सरण में जाना पड़ा। तब से यह मामला मथुरा सीनियर डिविजन कोर्ट नम्बर ५ में लंबित है। समाज के सहयोग से श्री गोवर्धन कमेटी न्याय पाने के लिए निरंतन प्रयत्नरत है। इस बात में कोई संदेह नहीं की मन्दिर श्री गोवर्धन नाथ आदि गौड़ ब्राह्मण समाज के देन है तथा इसका प्रबंधन श्री गोवर्धननाथ कमेटी को मिलना न्यायोचित मांग है।
इसी श्रंखला में सन २००५ से श्री पूरण चंद शर्मा, अध्यक्ष श्री गोवर्धननाथ कमेटी, समाज के अथकनीय सहयोग से न्याय के लिए प्रयाशरत है।